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Sutra: | तृतीयकस्तृतीयेऽह्नि चतुर्थकेऽह्नि चतुर्थकः। वातेनोदीर्यमाणाश्चह्रीयमाणाश्च सर्वतः। एकद्विदोषा मर्त्यानां तस्मिन्नेवोदितेऽहनि॥ |
Reference: | 1.1.39.71.0(पूर्व>सूत्र>संशोधनसंशमनीयम्>सूत्र#71.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | संशोधनसंशमनीयम् |
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