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Sutra: | कण्डूगुरुत्वकफसंस्रवसादतन्द्राः श्र्लेष्मात्मके मधुरमास्यमरोचके तु। सर्वात्मके पवनपित्तकफा बहूनि रुपाण्यथास्यहृदये समुदीरयन्ति॥ |
Reference: | 1.2.57.5.0(पूर्व>निदान>ग्रन्थपच्यर्बुदगलगण्डनिदानम्>सूत्र#5.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | निदान |
Adhyaya: | ग्रन्थपच्यर्बुदगलगण्डनिदानम् |
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