Index Search for 'हुताशविद्युदुल्काः॥' |
Sutra: | मेधावी निपुणमतिर्विगृह्य वक्ता तेजस्वी समितिषु दुर्निवारवीर्यः। सुप्तः सन् कनकपलाशकर्णिकारान् संपश्येदपि चहुताशविद्युदुल्काः॥ |
Reference: | 1.1.4.69.0(पूर्व>सूत्र>प्रभाषणीयम्>सूत्र#69.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | प्रभाषणीयम् |
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