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Sutra: | यदा पक्वोऽप्यतीसार: सरत्येव मुहुर्मुहु:। ग्रहण्या मार्दवाज्जन्तोस्तत्र संस्तम्भनंहितम्॥ |
Reference: | 1.1.40.68.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#68.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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