Index Search for 'हिंसाविहारिणी' |
Sutra: | सदा नीचनखरोम्णा शुचिना शुक्लवाससा शान्तिमङ्गलदेवताब्राह्मणगुरुपरेण भवितव्यमिति। तत् कस्य हेतोः?हिंसाविहारिणी हि महावीर्याणि रक्षांसि पशुपतिकुबेरकुमारानुचराणि मांसशोणितप्रियत्वात् क्षतजनिमित्तं व्रणिनमुपसर्पन्ति, सत्कारार्थंजिघांसूनि वा कदाचित्। |
Reference: | 1.1.19.23.0(पूर्व>सूत्र>व्रणितोपासनीयम्>सूत्र#23.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणितोपासनीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|