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Sutra: | सर्वासु तृष्णास्वथवाऽपि पैत्तं कुर्याद्विधिं तेनहि ता न सन्ति। पर्यागतोदुम्बरजो रसस्तु सशर्करस्तत्क्वथितोदकं वा॥ |
Reference: | 1.2.48.22.0(पूर्व>निदान>अर्शोनिदानम्>सूत्र#22.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | निदान |
Adhyaya: | अर्शोनिदानम् |
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