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Sutra: | द्रवे सरक्ते स्रवति बालबिल्वं सफाणितम्। सक्षौद्रतैलं प्रागेव लिह्यादाशु हितंहि तत्॥ |
Reference: | 1.1.40.125.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#125.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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