Index Search for 'हरेणुकात्रिवृद्दन्तीवचातालीशकेसरै:।' |
Sutra: | हरेणुकात्रिवृद्दन्तीवचातालीशकेसरै:। द्विक्षीरं विपचेत्सर्पिर्मालतीकुसुमै: सह॥ |
Reference: | 1.1.39.230.0(पूर्व>सूत्र>संशोधनसंशमनीयम्>सूत्र#230.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | संशोधनसंशमनीयम् |
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