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Sutra: | शर्करामधुरो हन्ति कषायः पैत्तिकं ज्वरम्। पीतं पित्तज्वरंहन्यात् सारिवाद्यं सशर्करम्॥ |
Reference: | 1.1.39.175.0(पूर्व>सूत्र>संशोधनसंशमनीयम्>सूत्र#175.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | संशोधनसंशमनीयम् |
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