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Sutra: | शुक्लाख्यं मृदु कथयन्ति शुक्लभागे सश्वेतं सममिह वर्धते चिरेण। यन्मांसं प्रचयमुपैति शुक्लभागे पद्माभं तदुपदिशन्तिलोहितार्म॥ |
Reference: | 1.1.4.5.0(पूर्व>सूत्र>प्रभाषणीयम्>सूत्र#5.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | प्रभाषणीयम् |
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