Index Search for 'लेहैः॥' |
Sutra: | क्षौद्रयुतानि वितरेन्मुखबोधनार्थमन्यानि तिक्तकटुकानि च भेषजानि। मुस्तादिराजतरुवर्गदशाङ्गसिद्धैः क्वाथैर्जयेन्मधुयुतैर्विविधैश्चलेहैः॥ |
Reference: | 1.2.57.14.0(पूर्व>निदान>ग्रन्थपच्यर्बुदगलगण्डनिदानम्>सूत्र#14.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | निदान |
Adhyaya: | ग्रन्थपच्यर्बुदगलगण्डनिदानम् |
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