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Sutra: | दुर्विरेच्या हि मधुमेहिनो भवन्ति मेदोऽभिव्याप्तशरीरत्वात्, तस्मात् तीक्ष्णमेतेषां शोधनं कुर्वीत्। पिडकापीडिताः सोपद्रवाः सर्व एव प्रमेहा मूत्रादिमाधुर्ये मधुगन्धसामान्यात्परिभाषिकीं मधुमेहाख्यांलभन्ते॥ |
Reference: | 1.1.12.6.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#6.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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