Index Search for 'रोचनाक्षरतुत्थानि' |
Sutra: | रोचनाक्षरतुत्थानि पिप्पल्यः क्षौद्रमेव च। प्रतिसारणमेकैकं भिन्ने लगण इष्यते।महत्यपि च युञ्जीत क्षाराग्नी विधिकोविदः॥ |
Reference: | 1.1.14.5.0(पूर्व>सूत्र>शोणितवर्णनीयम्>सूत्र#5.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शोणितवर्णनीयम् |
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