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Sutra: | शोकोत्पन्नो दुश्चिकित्स्योऽतिमात्रंरोगो वैद्यै: कष्ट एष प्रदिष्ट:। आमाजीर्णोपद्रुता: क्षोभयन्त: कोष्ठम् दोषा: सम्प्रदुष्टा: सभक्तम्॥ |
Reference: | 1.1.40.15.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#15.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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