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Sutra: | कफजेषु तुरोगेषु गम्भीरगतित्वादभिघातेषु च केषुचिदसमस्तं पक्वलक्षणं दृष्ट्वा पक्वमपक्वमिति मन्यमानो भिषङ्मोहमुपैति। तत्र हि त्वक्सवर्णता शीतशोफता स्थैर्यमल्परुजताऽश्मवच्च घनता न मोहमुपेयादिति॥ |
Reference: | 1.1.17.6.0(पूर्व>सूत्र>आमपक्वैषणीयम्>सूत्र#6.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | आमपक्वैषणीयम् |
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