Index Search for 'रोगिणाम्।' |
Sutra: | सुखोपविष्टं स्वभ्यक्तं गुरुप्रावरणावृतम्। हस्तिशुण्डिकया नाड्या स्वेदयेद्वा तंरोगिणाम्। सुखा सर्वाङ्गगा ह्येषा न च क्लिश्नाति मानवम्॥ |
Reference: | 1.1.32.6.0(पूर्व>सूत्र>स्वभावविप्रतिपत्तिम्>सूत्र#6.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | स्वभावविप्रतिपत्तिम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|