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'रोगाः'
Sutra:
ततो दूतनिमित्तशकुनमङ्गलानुलोम्येनातुरगृहमभिगम्योपविश्य आतुरमभिपश्येत् स्पृशेत् पृच्छेच्च। त्रिभिरेतैर्विज्ञानोपायै
रोगाः
प्रायशो वेदितव्या इत्येके; तत्तु न सम्यक्। षड्विधो हि रोगाणां विज्ञानोपायः। तद्यथा- पञ्चभिः श्रोत्रादिभिः प्रश्नेन चेति॥
Reference:
1.1.10.4.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#4.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
विशिखानुप्रवेशनीयम्
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