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Sutra: | भवति चात्र-रोगस्य संस्थानमवेक्ष्य सम्यङ्नरस्य मर्माणि बलाबलं च। व्याधिं तथर्तुं च समीक्ष्य सम्यक् ततोऽव्यवस्येद्भिषगग्निकर्म॥ |
Reference: | 1.1.12.12.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#12.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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