Index Search for 'रोगंमेध्याण्ङसिद्धं' |
Sutra: | पाठाजमोदाकुटजोत्पलं च शुण्ठी समा मागधिकाश्च पिष्टा:। सुखाम्बुपीता: शमयन्तिरोगंमेध्याण्ङसिद्धं सघृतं पयो वा॥ |
Reference: | 1.1.40.153.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#153.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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