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Sutra: | स ह्रस्वजाड्यो दिवसेषु कृच्छ्राद्ध्रस्वानिरूपाणि च येन पश्येत्। विद्योतते येन नरस्य दृष्टिर्दोषाभिपन्ना नकुलस्य यद्वत्॥ |
Reference: | 1.1.7.39.0(पूर्व>सूत्र>यन्त्रविधिम्>सूत्र#39.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | यन्त्रविधिम् |
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