Index Search for 'रूक्षौषधमुपयुक्तमब्रह्मचारिणा' |
Sutra: | अतिस्निग्धस्विन्नेनरूक्षौषधमुपयुक्तमब्रह्मचारिणा वा वायुः प्रकुपितः पार्श्वपृष्ठश्रोणिमन्यामर्मशूलं मूर्च्छां भ्रमं मदं संज्ञानाशं च करोति। तं वातशूलमित्याचक्षते। तमभ्यज्य धान्यस्वेदेन स्वेदयित्वा यष्टीमधुकविपक्वेन तैलेनानुवासयेत्॥ |
Reference: | 1.1.34.9.0(पूर्व>सूत्र>युक्तसेनीयम्>सूत्र#9.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | युक्तसेनीयम् |
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