Index Search for 'रुजावान्' |
Sutra: | तमक्षिपाकात्ययमक्षिकोपसमुत्थितं तीव्ररुजं वदन्ति। अजापुरीषप्रतिमोरुजावान् सलोहितो लोहितपिच्छिलाश्रुः। विदार्य कृष्णं प्रचयोऽभ्युपैति तं चाजकाजातमिति व्यवस्येत्॥ |
Reference: | 1.1.5.10.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#10.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्रोपहरणीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|