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'रुजाकरमतीव्रवेदनं'
Sutra:
तत्र सद्यःप्राणहरमन्ते विद्धं कालान्तरेण मारयति, कालान्तरप्राणहरमन्ते विद्धं वैकल्यमापादयति विशल्यप्राणहरं च, वैकल्यकरं कालान्तरं क्लेशयति रुजां च करोति,
रुजाकरमतीव्रवेदनं
भवति॥
Reference:
1.1.6.23.0(पूर्व>सूत्र>ऋतुचर्यम्>सूत्र#23.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
ऋतुचर्यम्
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