Index Search for 'रात्रिस्रुति:' |
Sutra: | ज्ञेया कफाद्बहुघनार्जुनपिच्छिलास्रारात्रिस्रुति: स्तिमितरुक्कठिना सकण्डू: । दोषद्वयाभिहितलक्षणदर्शनेन तिस्रो गतीर्व्यतिकरप्रभवास्तु विद्यात्॥ |
Reference: | 1.1.10.12.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#12.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विशिखानुप्रवेशनीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|