Index Search for 'राजार्हान्यञ्जनाग्याणि' |
Sutra: | दृष्टेर्बलविवृध्यर्थं याप्यरोगक्षयाय च।राजार्हान्यञ्जनाग्याणि निबोधेमान्यतः परम्॥ |
Reference: | 1.1.18.84.0(पूर्व>सूत्र>व्रणालेपनबन्धविधिम>सूत्र#84.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणालेपनबन्धविधिम |
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