Index Search for 'रसैर्मुख्यैर्मधुरैः' |
Sutra: | घृतं कषायांश्चोद्दिष्टान् पित्तज्वरविनाशनान्। तृप्तस्य चरसैर्मुख्यैर्मधुरैः सघृतैर्भिषक्॥ |
Reference: | 1.1.43.16.0(पूर्व>सूत्र>वमनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम्>सूत्र#16.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | वमनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम् |
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