Index Search for 'रसेष्वायत्तः;' |
Sutra: | प्राणिनां पुनर्मूलमाहारो बलवर्णौजसां च। स षट्सुरसेष्वायत्तः; रसाः पुनर्द्रव्याश्रयाः; द्रव्याणि पुनरोषधयः। तास्तु द्विविधाः- स्थावरा जङ्गमाश्च॥ |
Reference: | 1.1.1.27.0(पूर्व>सूत्र>वेदोत्पत्तिः>सूत्र#27.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | वेदोत्पत्तिः |
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