Index Search for 'रसेन' |
Sutra: | विरेचनद्रव्यभवं तु चूर्णंरसेन तेषां भिषजा विमृद्य। तन्मूलसिद्धेन च सर्पिषाक्तं सेव्यं तदाज्ये गुटिकीकृतं च॥ |
Reference: | 1.1.44.10.0(पूर्व>सूत्र>विरेचनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम्>सूत्र#10.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विरेचनद्रव्यविकल्पविज्ञानीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|