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'रसः;'
Sutra:
औष्ण्यतैक्ष्ण्यरौक्ष्यलाघववैशद्यगुणलक्षणं पित्तं, तस्य समानयोनिः कटुको
रसः;
सोऽस्यौष्ण्यादौष्ण्यं वर्धयति, तैक्ष्ण्यात्तैक्ष्ण्यं रौक्ष्याद्रौक्ष्यं, लाघवाल्लाघवं, वैशाद्याद्वैशमिति॥
Reference:
1.1.42.8.0(पूर्व>सूत्र>रसविशेषविज्ञानीयम्>सूत्र#8.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
रसविशेषविज्ञानीयम्
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