Index Search for 'रक्ताभिष्यन्दशान्त्यर्थमेतदञ्जनमिष्यते॥' |
Sutra: | समञ्जिष्ठानि मधुना पिष्टानीक्षुरसेन वा।रक्ताभिष्यन्दशान्त्यर्थमेतदञ्जनमिष्यते॥ |
Reference: | 1.1.12.12.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#12.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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