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Sutra: | एणाव्यजानां तु वटप्रवालै: सिद्धानि सार्धं पिशितनि खादेत्। मेध्यस्य सिद्धं त्वथवाऽपिरक्तं बस्तस्य दध्ना घृततैलयुक्तम्।। |
Reference: | 1.1.40.147.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#147.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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