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Sutra: | कोष्ठं गत्वा क्षोभयत्यस्यरक्तं तच्चाधस्तात् काकणन्तीप्रकाशम्। वर्चोमिश्रं नि:पुरीषं सगन्धं निर्गन्धं वा सार्यते तेन कृच्छ्रात्॥ |
Reference: | 1.1.40.14.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#14.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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