Index Search for 'योजयेच्छुक्रदोषार्तं' |
Sutra: | विट्प्रभे पाययेत् सिद्धं चित्रकोशीरहिङ्गुभि:। स्निग्धं वान्तं विरिक्तं च निरूढमनुवासितम्।योजयेच्छुक्रदोषार्तं सम्यगुत्तरबस्तिना॥ |
Reference: | 1.1.2.11.0(पूर्व>सूत्र>शिष्योपनयनीयम्>सूत्र#11.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शिष्योपनयनीयम् |
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