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Sutra: | युञ्ज्यात्सर्पिर्धूमदर्शी नरस्तु शेषं कुर्याद्रक्तपित्ते विधानम्। यच्चैवान्यत् पित्तहृच्चापि सर्वंयद्वीससर्पे पैत्तिके वै विधानम्॥ |
Reference: | 1.1.10.16.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#16.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विशिखानुप्रवेशनीयम् |
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