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Sutra: | पित्तात् पीतं नीलमालोहितं वा तृष्णामूर्च्छादाहपाज्वरार्त:। तन्द्रानिद्रागौरवोत्क्लेशसादी वेगाशङ्की सृष्टविट्कोऽपिभूय:॥ |
Reference: | 1.1.40.11.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#11.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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