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Sutra: | लोध्रं विङं बिल्वशलाटु चैव लिह्यच्च तैलेन कटुत्रिकाढयम्। दध्ना ससारेण समाक्षिकेणभुञ्जीत निश्चारकपीङितस्तु॥ |
Reference: | 1.1.40.144.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#144.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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