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Sutra: | ततः शालिषष्टिकयवगोधूमकोद्रवोद्दालकाननवान्भुञ्जीत चण्डकाढकीकुलत्थमुद्गविकल्पेन तिक्तकषायाभ्यां च शाकगणाभ्यां निकुम्भेङ्गुदीसर्षपातसीतैलसिद्धाभ्यां, बद्धमूत्रैर्वा जाङ्गलैर्मांसैरपहृतमेदोभिरनम्लैरघृतैश्चेति॥ |
Reference: | 1.1.11.5.0(पूर्व>सूत्र>क्षारपाकविधिम्>सूत्र#5.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | क्षारपाकविधिम् |
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