Index Search for 'भास्करस्योस्रा' |
Sutra: | दर्पणादीन् यथा छाया शीतोष्णं प्राणिनो यथा। स्वमणिंभास्करस्योस्रा यथा देहं च देहधृक्। विशन्ति च न दृश्यन्ते ग्रहास्तद्वच्छरीरिणाम्॥ |
Reference: | 1.2.60.19.0(पूर्व>निदान>शूकदोषनिदानम्>सूत्र#19.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | निदान |
Adhyaya: | शूकदोषनिदानम् |
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