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Sutra: | जिह्वाऽनिलेन स्फुटिता प्रसुप्ताभवेच्च शाकच्छदनप्रकाशा। पित्तेन पीता परिदह्यते च चिता सरक्तैरपि कण्टकैश्च। कफेन गुर्वी बहला चिता च मांसोद्गमै: शाल्मलिकण्टकाभै:॥ |
Reference: | 1.1.16.37.0(पूर्व>सूत्र>कर्णव्यधबन्धविधिम्>सूत्र#37.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | कर्णव्यधबन्धविधिम् |
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