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Sutra: | चयं गता मूर्धनि मारुतादयः पृथक् समस्ताश्च तथैव शोणितम्। प्रकोप्यमाणा विविधैः प्रकोपणैर्नृणां प्रतिश्यायकराभवन्ति हि॥ |
Reference: | 1.1.24.4.0(पूर्व>सूत्र>व्याधिसमुद्देशीयम्>सूत्र#4.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्याधिसमुद्देशीयम् |
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