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Index Search for        'भवतीत्येके'
Sutra: तत्र तेजोधातुर्वर्णानां प्रभव:, स यदा गर्भोत्पत्तावब्धातुप्रायो भवति तदा गर्भ गौरं करोति, पृथिवीधातुप्राय: कृष्णं, पृथिव्याकाशधातुप्राय: कृष्णश्यामं, तोयाकाशधातुप्रायो गौरश्यामम्। यादृग्वर्णमाहारमुपसेवते गर्भिणी तादृग्वर्णप्रसवाभवतीत्येके भाषन्ते। तत्र दृष्टिभागमप्रतिपन्नं तेजो जात्यन्धं करोति, तदेव रक्तानुगतं रक्ताक्षं, पित्तानुगतं पिङ्गाक्षं, श्लेष्मानुगतं शुक्लाक्षं,वातानुगतं विकृताक्षमिति॥
Reference:1.1.2.35.0(पूर्व>सूत्र>शिष्योपनयनीयम्>सूत्र#35.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:शिष्योपनयनीयम्
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