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Sutra: | क्रूरकोष्ठस्यातितीक्ष्णाग्नेरल्पमौषधमप्लगुणं वाभक्तवत् पाकमुपैति। तत्र समुदीर्णा दोषा यथाकालमनिर्ह्रीयमाणा व्याधिविभ्रमं बलविभ्रंशं चापादयन्ति। तमनल्पममन्दमौषधं च पाययेत्॥ |
Reference: | 1.1.34.7.0(पूर्व>सूत्र>युक्तसेनीयम्>सूत्र#7.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | युक्तसेनीयम् |
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