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Index Search for        'धमनी'
Sutra: तत्र शल्यलक्षणमुच्यमानमुपधारय। तद्द्विविधं- सामान्यं वैशेषिकं च। श्यावं पिडकाचितं शोफवेदनावन्तं मुहुर्मुहुः शोणितास्राविणं बुद्बुदवदुन्नतं मृदुमांसं च व्रणं जानीयात् सशल्योऽयमिति; सामान्यमेतल्लक्षणमुक्तम्; वैशेषिकं तु त्वग्गते विवर्णं शोफो भवत्यायतः कठिनश्च; मांसगते शोफाभि(ति)वृद्धिः शल्यमार्गानुपसंरोहः पीडनासहिष्णुता चोषपाकौ च; पेश्यन्तरस्थेऽप्येतदेव चोषशोफवर्जं; सिरागते सिराध्मानं सिराशूलं सिराशोफश्च; स्नायुगते स्नायुजालोत्क्षेपणं संरम्भश्चोग्रा रुक् च; स्रोतोगते स्रोतसां स्वकर्मगुणहानिः;धमनी
Reference:1.1.26.10.0(पूर्व>सूत्र>प्रनष्टशल्यविज्ञानीयम्>सूत्र#10.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:प्रनष्टशल्यविज्ञानीयम्
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