Index Search for 'द्विविधमग्निकर्माहुरेके' |
Sutra: | तत्रद्विविधमग्निकर्माहुरेके त्वग्दग्धं मांसदग्धं च इहतु सिरास्नायुसन्ध्यस्थिष्वपि न प्रतिषिद्धोऽग्नि॥ |
Reference: | 1.1.12.7.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#7.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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