Index Search for 'द्राक्षासितामधुकजीरकधान्यकृष्णास्वेवं' |
Sutra: | तद्वीजपूरकरसायुतमाशु पीतं शान्तिं परां परमदे त्वचिरात्करोति।द्राक्षासितामधुकजीरकधान्यकृष्णास्वेवं कृतं त्रिवृतया च् पिबेत्तथैव॥ |
Reference: | 1.2.47.35.0(पूर्व>निदान>वातव्याधिनिदानम्>सूत्र#35.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | निदान |
Adhyaya: | वातव्याधिनिदानम् |
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