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Index Search for        'द्राक्षारेवतकट्फलपयस्यामधुकचन्दनकाश्मर्यकषायं'
Sutra: पित्तप्रबलेद्राक्षारेवतकट्फलपयस्यामधुकचन्दनकाश्मर्यकषायं शर्करामधुमधुरं पाययेत्, शतावरीमधुकपटोलत्रिफलाकटुरोहिणीकषायं गुडूचीकषायं वा, पित्तज्वरहरं वा चन्दनादिकषायं शर्करामधुमधुरं; मधुरतिक्तकषायसिद्धं वा सर्पिः; बिसमृणालभद्रश्रियपद्मककषायेणार्धक्षीरेण परिषेकः; क्षीरक्षुरसैर्मधुशर्करातण्डुलोदकैर्वा द्राक्षेक्षुकषायमिश्रैर्वा मस्तुमद्यधान्याम्लैः; जीवनीयसिद्धेन वा सर्पिषाभ्यङ्गः; शतधौतघृतेन वा, काकोल्यादिकल्ककषायविपक्वेन वा सर्पिषाः; शालिषष्टिकनलवञ्जुलतालीशशृङ्गाटकगलोड्यगौरीगैरिकशैवलपद्मकपद्मपत्रप्
Reference:1.1.5.8.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#8.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:अग्रोपहरणीयम्
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