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Sutra: | दोषादये नैव च विप्लुतिं गतेद्रव्याणि नस्यादिषु योजयेद्बुधः। पुनश्च कल्प्र्ऽञ्जनविस्तरः शुभः प्रवक्ष्यतेऽन्यस्तमपीह योजयेत्॥ |
Reference: | 1.1.17.47.0(पूर्व>सूत्र>आमपक्वैषणीयम्>सूत्र#47.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | आमपक्वैषणीयम् |
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