Index Search for 'दोषैस्त्रिभिस्तैः' |
Sutra: | समुच्छ्वसित्यूर्ध्वमधश्च कृच्छाद्यस्तस्य नासापरिशोष उक्तः।दोषैस्त्रिभिस्तैः पृथगेकश्च ब्रूयात्तथाऽर्शांसि तथैव शोफान्॥ |
Reference: | 1.1.22.18.0(पूर्व>सूत्र>व्रणास्रावविज्ञानीयम्>सूत्र#18.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | व्रणास्रावविज्ञानीयम् |
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