Index Search for 'दोषांस्तृप्तिं' |
Sutra: | स्नेहादिभिः सम्यगपास्यदोषांस्तृप्तिं विधायाथ यथास्वमेव। प्रक्लिन्नवर्त्मानमुपक्रमेत सेकाञ्जनाश्च्योतननस्यधूमैः॥ |
Reference: | 1.1.12.47.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#47.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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