Index Search for 'दुष्टमनल्पमसृक्' |
Sutra: | रक्तजानि न्यग्रोधप्ररोहविद्रुमकाकणन्तिकाफलसदृशानि पित्तलक्षणानि च, यदाऽवगाढपुरीषपीडितानि भवन्ति तदाऽत्यर्थंदुष्टमनल्पमसृक् सहसा विसृजन्ति, तस्य चातिप्रवृत्तौ शोणितातियोगोपद्रवा भवन्ति॥ |
Reference: | 1.1.2.14.0(पूर्व>सूत्र>शिष्योपनयनीयम्>सूत्र#14.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | शिष्योपनयनीयम् |
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